Friday, October 12, 2018

रफ़ाएल विवाद में फंसी भारतीय कंपनी के बारे में जानते हैं आप

भारत और फ्रांस के बीच रफ़ाएल लड़ाकू विमानों की डील में सबसे ज़्यादा चर्चा उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी को लेकर है.
अनिल अंबानी उद्योपति मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं. वो अपना अलग कारोबारी साम्राज्य चलाते हैं. उनकी कंपनियां डिफ़ेंस, वित्तीय सेवाओं, मीडिया और आधारभूत सुविधाएं देने का काम करती हैं.
मैगज़ीन फ़ोर्ब्स के अनुसार साल 2018 के मध्य तक अनिल अंबानी की कुल संपत्ति की क़ीमत 2.3 अरब डॉलर बताई गई है. 59 साल के अनिल अंबानी फ़ोर्ब्स की सूची में 45वें सबसे अमीर भारतीय हैं.
फ़ोर्ब्स के मुताबिक़ बड़े भाई मुकेश अंबानी से अलग होने के बाद साल 2014 अनिल अंबानी के लिए अब तक का सबसे अधिक मुनाफ़े वाला साल रहा. 2014 में उनकी संपत्ति 6.3 अरब डॉलर थी.
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफ़ेंस के कई संयुक्त उद्यम हैं, जिनमें इसराइल की रफ़ाएल एडवांस्ड डिफ़ेंस सिस्टम और फ़्रांस की कंपनी दसो एविएशन के साथ काम करना शामिल है.
रिलायंस डिफेंस नागपुर में लड़ाकू विमान बनाने की फैक्ट्री बना रही है. ये कंपनी विमान के पुर्जे खरीदने के समझौते कर चुकी है और कंपनी का दावा है कि उसे अमरीकी नौसेना के सातवें बेड़े के युद्धपोतों की मरम्मत और सर्विस का ठेका मिला है.
लेकिन उनकी कंपनी रिलायंस डिफ़ेंस की प्रोफ़ाइल और कंपनी की योग्यता को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं. कुछ जानकारों का कहना है कि कंपनी ने जितने बड़े करार किए हैं, उसके हिसाब से अनिल अंबानी की कंपनी कथित तौर पर अनुभवहीन है.
इसी बीच फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का चौंकाने वाला बयान आया कि करोड़ों डॉलर के 'रफ़ाएल सौदे में अनिल अंबानी को भारत सरकार ने ऑफ़सेट पार्टनर के तौर पर फ्रांस पर 'थोपा' था'.
इस बयान ने रफ़ाएल मामले पर चल रही राजनीतिक खींचतान को और बढ़ा दिया.
लेकिन इस बीच कई सवाल उठते हैं, मसलन अंबानी की कंपनियां कैसे काम करती रही हैं, उन्हें कितना अनुभव है और उनकी उपलब्धियां क्या हैं, इसे इस टाइम-लाइन के ज़रिए समझिये:रू भाई हीराचंद अंबानी ने यमन के एक पेट्रोल पंप पर आम कर्मचारी के तौर पर ने अपने करियर की शुरुआत की थी. बाद में वो भारत लौट आए और उन्होंने मसालों की ट्रेडिंग शुरू की.
लेकिन 1970 के दशक में धीरू भाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ नाम की एक कंपनी खड़ी की. इस कंपनी ने विमल नाम का कपड़ों का एक ब्रांड लॉन्च किया जो काफ़ी चर्चित रहा.
6 जुलाई 2002 को धीरू भाई अंबानी का देहांत हुआ और साल 2005 में मां कोकिला बेन की मौजूदगी में मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच कारोबार का बंटवारा हुआ.

Thursday, October 4, 2018

पहले सिख अटॉर्नी जनरल पर नस्ली टिप्पणी करने वाले शेरिफ ने दिया इस्तीफा

यूजर्सी काउन्टी के एक वरिष्ठ कानून प्रवर्तन अधिकारी ने अमेरिका के पहले सिख अमेरिकी अटॉर्नी जनरल गुरबीर ग्रेवाल की पगड़ी को लेकर नस्ली टिप्पणी करने पर मचे हंगामे के बाद इस्तीफा दे दिया है। बर्जन काउन्टी शेरिफ माइकल सौडिनो के 16 जनवरी के बयान को लेकर कई ऑडियो क्लिप डाले जाने के बाद हंगामा मचा।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक सौडिनो और चार अंडरशेरिफ ने शुक्रवार को इस्तीफा दिया। यह इस्तीफा रेडियो स्टेशन डब्ल्यूएनवाईसी द्वारा रिकॉर्डिंग को जारी करने के एक दिन बाद हुआ है। सौडिनो ने गवर्नर मर्फी की ओर से राजनैतिक दबाव के बाद इस्तीफा दे दिया। डेमोक्रैट सौडिन्हो का यह तीसरा कार्यकाल था। ऑडियो में सौडिनो को यह कहते सुना जा रहा है कि मर्फी ने 'पगड़ी' की वजह से ग्रेवाल को नियुक्त किया।
सौडिनो ने ग्रेवाल का मर्फी द्वारा चयन किये जाने पर कहा, ''उन्होंने बर्जन काउन्टी की वजह से ऐसा नहीं किया, बल्कि पगड़ी की वजह से किया। ग्रेवाल उस वक्त बर्जन काउन्टी के अभियोजक थे। ग्रेवाल ने इस्तीफे को बर्जन काउन्टी के शेरिफ के कार्यालय और विभिन्न समुदाय जिनकी यह सेवा करता है उसके बीच संबंधों में सुधार के लिये इसे पहला कदम बताया।
उन्होंने कहा, ''लेकिन हमारा काम वहीं नहीं रुकता। यह तथ्य कि एक शीर्ष अधिकारी अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय के बारे में नस्ली टिप्पणी कर सकता है और कमरे में कोई भी उसे चुनौती नहीं देगा या उन्हें दुरुस्त करेगा, यह गंभीर चिंता पैदा करता है। इस टिप्पणी को लेकर समूचे राज्य से निंदा हुई लेकिन सौडिनो ने शुरूआत में सिर्फ माफी मांगी थी और अपना पद छोड़ने का कोई उल्लेख नहीं किया था।
न्यूजर्सी काउन्टी के एक वरिष्ठ कानून प्रवर्तन अधिकारी ने अमेरिका के पहले सिख अमेरिकी अटॉर्नी जनरल गुरबीर ग्रेवाल की पगड़ी को लेकर नस्ली टिप्पणी करने पर मचे हंगामे के बाद इस्तीफा दे दिया है। बर्जन काउन्टी शेरिफ माइकल सौडिनो के 16 जनवरी के बयान को लेकर कई ऑडियो क्लिप डाले जाने के बाद हंगामा मचा।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक सौडिनो और चार अंडरशेरिफ ने शुक्रवार को इस्तीफा दिया। यह इस्तीफा रेडियो स्टेशन डब्ल्यूएनवाईसी द्वारा रिकॉर्डिंग को जारी करने के एक दिन बाद हुआ है। सौडिनो ने गवर्नर मर्फी की ओर से राजनैतिक दबाव के बाद इस्तीफा दे दिया। डेमोक्रैट सौडिन्हो का यह तीसरा कार्यकाल था। ऑडियो में सौडिनो को यह कहते सुना जा रहा है कि मर्फी ने 'पगड़ी' की वजह से ग्रेवाल को नियुक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट ने महज कुछ घंटों बाद मणिपुर से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजे पर रोक लगाने से गुरुवार को साफ इनकार कर दिया। भारत की तरफ से आधिकारिक तौर पर म्यांमार प्रत्यर्पण का यह पहला मामला है।
वकील प्रशांत भूषण ने इस में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की थी और कहा था कि यह अदालत का कर्तव्य है कि वह राज्य विहीन रोहिंग्या शरणार्थियों की रक्षा करे।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने प्रशांत भूषण से कहा कि उन्हें इस बात को याद दिलाने की कोई आवश्यता नहीं है कि जजों की क्या जिम्मेदारियां हैं। गृह मंत्रालय ने हलफनामा दायर कर कहा था कि सात रोहिंग्या अपनी सजा पूरी करने के बाद वापस म्यांमार जाने को तैयार हैं। अवैध प्रवासी थे और उन्हें फॉरनर्स एक्ट में दोषी पाया गया था।