भारत और फ्रांस के बीच रफ़ाएल लड़ाकू विमानों की डील में सबसे ज़्यादा चर्चा उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी को लेकर है.
अनिल
अंबानी उद्योपति मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं. वो अपना अलग कारोबारी
साम्राज्य चलाते हैं. उनकी कंपनियां डिफ़ेंस, वित्तीय सेवाओं, मीडिया और
आधारभूत सुविधाएं देने का काम करती हैं.मैगज़ीन फ़ोर्ब्स के अनुसार साल 2018 के मध्य तक अनिल अंबानी की कुल संपत्ति की क़ीमत 2.3 अरब डॉलर बताई गई है. 59 साल के अनिल अंबानी फ़ोर्ब्स की सूची में 45वें सबसे अमीर भारतीय हैं.
फ़ोर्ब्स के मुताबिक़ बड़े भाई मुकेश अंबानी से अलग होने के बाद साल 2014 अनिल अंबानी के लिए अब तक का सबसे अधिक मुनाफ़े वाला साल रहा. 2014 में उनकी संपत्ति 6.3 अरब डॉलर थी.
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफ़ेंस के कई संयुक्त उद्यम हैं, जिनमें इसराइल की रफ़ाएल एडवांस्ड डिफ़ेंस सिस्टम और फ़्रांस की कंपनी दसो एविएशन के साथ काम करना शामिल है.
रिलायंस डिफेंस नागपुर में लड़ाकू विमान बनाने की फैक्ट्री बना रही है. ये कंपनी विमान के पुर्जे खरीदने के समझौते कर चुकी है और कंपनी का दावा है कि उसे अमरीकी नौसेना के सातवें बेड़े के युद्धपोतों की मरम्मत और सर्विस का ठेका मिला है.
लेकिन उनकी कंपनी रिलायंस डिफ़ेंस की प्रोफ़ाइल और कंपनी की योग्यता को लेकर कई तरह के सवाल उठते रहे हैं. कुछ जानकारों का कहना है कि कंपनी ने जितने बड़े करार किए हैं, उसके हिसाब से अनिल अंबानी की कंपनी कथित तौर पर अनुभवहीन है.
इसी बीच फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का चौंकाने वाला बयान आया कि करोड़ों डॉलर के 'रफ़ाएल सौदे में अनिल अंबानी को भारत सरकार ने ऑफ़सेट पार्टनर के तौर पर फ्रांस पर 'थोपा' था'.
इस बयान ने रफ़ाएल मामले पर चल रही राजनीतिक खींचतान को और बढ़ा दिया.
लेकिन इस बीच कई सवाल उठते हैं, मसलन अंबानी की कंपनियां कैसे काम करती रही हैं, उन्हें कितना अनुभव है और उनकी उपलब्धियां क्या हैं, इसे इस टाइम-लाइन के ज़रिए समझिये:रू भाई हीराचंद अंबानी ने यमन के एक पेट्रोल पंप पर आम कर्मचारी के तौर पर ने अपने करियर की शुरुआत की थी. बाद में वो भारत लौट आए और उन्होंने मसालों की ट्रेडिंग शुरू की.
लेकिन 1970 के दशक में धीरू भाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ नाम की एक कंपनी खड़ी की. इस कंपनी ने विमल नाम का कपड़ों का एक ब्रांड लॉन्च किया जो काफ़ी चर्चित रहा.
6 जुलाई 2002 को धीरू भाई अंबानी का देहांत हुआ और साल 2005 में मां कोकिला बेन की मौजूदगी में मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी के बीच कारोबार का बंटवारा हुआ.
- बंटवारे में अनिल से दो साल बड़े मुकेश अंबानी को पूरा तेल व्यापार, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड और इंडियन पेट्रोकैमिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी मिली.
- जबकि अनिल अंबानी के हिस्से रिलायंस कम्युनिकेशन समेत चार कंपनियां आईं.
- रिलायंस कम्युनिकेशन को स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध किया गया.
- वहीं अनिल अंबानी साल 2004 से लेकर 2006 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे. जून 2004 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से वो एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में सदन में पहुंचे थे. उनका कार्यकाल जून 2010 में पूरा होना था. लेकिन 2006 में ही अनिल अंबानी ने फ़ैक्स के ज़रिये राज्यसभा के तात्कालिक चेयरमैन भैरों सिंह शेखावत को अपना इस्तीफ़ा भेज दिया था.
- भारत के अब तक के कथित तौर पर 'सबसे बड़े आर्थिक घोटाले' यानी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच और सुनवाई में अनिल अंबानी को भी शामिल किया गया था.
- 2जी स्पेक्ट्रम में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे, जिसमें उस समय भारत के महालेखाकार और नियंत्रक विनोद राय के अनुसार सरकारी खजाने को लगभग एक लाख 76 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ था.
- इसी साल रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयर्स में 30 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज़ की गई थी.
- रिलायंस कम्युनिकेशन ने रिलायंस कैपिटल की एक इकाई 'बिग सिनेमाज़' को कार्निवल सिनेमा को बेच दिया.
- अनिल अंबानी के बेटे अनमोल ने 'रिलायंस कैपिटल' में काम करना शुरू किया.
- निल अंबानी ने गुजरात की पीपावाव डिफ़ेंस एंड ऑफ़शोर इंजीनियरिंग कंपनी में 2,082 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी ख़रीद ली. 3 मार्च 2016 को इस कंपनी का नाम बदलकर 'रिलायंस डिफ़ेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड' रखने की घोषणा की गई.
- रिलायंस डिफ़ेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड भारत में पहली निजी क्षेत्र की कंपनी है जिसे युद्धपोत बनाने के लिए लाइसेंस और अनुबंध प्राप्त हुए हैं.
- अनिल अंबानी की कंपनी का दावा है कि उसे भारत सरकार से मास्टर शिप रिपेयर करने का (एमएसआरए) सर्टिफ़िकेट प्राप्त है.
- 29 मार्च को रिलायंस डिफ़ेंस ने प्रेस रिलीज़ जारी कर कहा कि उनकी कंपनी का इसराइल की रफ़ाएल एडवांस्ड डिफ़ेंस सिस्टम लिमिटेड के साथ क़रीब 65 हज़ार करोड़ रुपये का सामरिक समझौता हुआ है.
- 3 अक्टूबर को रिलायंस डिफ़ेंस और फ़्रांस की दसो एविएशन ने 'दसो रिलायंस एरोस्पेस' नाम के संयुक्त उद्यम की घोषणा की. अनिल अंबानी की कंपनी ने दावा किया कि ये संयुक्त उद्योग प्रधानमंत्री के स्किल इंडिया और मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बल देगा.
- साल 2016 में ही रिलायंस कम्युनिकेशन ने ये घोषणा की थी कि वो 'सिस्टेमा श्याम टेलीसर्विस लिमिटेड' कंपनी के साथ विलय कर रहे हैं.
- इसी साल रिलायंस कम्युनिकेशन ने एयरसेल कंपनी के साथ भी विलय की घोषणा की थी, लेकिन दोनों कंपनियां साल 2017 में ही फिर से अलग हो गईं.
- भारत और अमरीका के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इसके तुरंत बाद अनिल अंबानी की 'रिलायंस डिफ़ेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड' ने ऐलान किया कि उनकी कंपनी को अमरीकी नौसेना के सातवें बेड़े के युद्धपोतों की मरम्मत और सर्विस का ठेका मिला है. ये ठेका उन्हें भारत सरकार द्वारा दिये गए 'एमएसआरए सर्टिफ़िकेट' के आधार पर मिला है.
- 22 जून 2017 को रिलायंस डिफ़ेंस ने पेरिस एयर शो में फ़्रांस की नामी कंपनी दाहेर एरोस्पेस के साथ विमानों के पुर्ज़े ख़रीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किये.
- 27 अक्टूबर 2017 को रिलायंस डिफ़ेंस ने लड़ाकू विमान बनाने की फ़ैक्ट्री की नीव रखी. ये फ़ैक्ट्री नागपुर में बन रही है. रिलायंस डिफ़ेंस इस फ़ैक्ट्री को फ़्रांस की दसो एविएशन के साथ आपसी साझेदारी में बना रही है.
- इसी साल के अंत में रिलायंस इंफ़्रास्ट्रक्चर ने अपनी बिजली का व्यापार करने वाली ईकाई (बॉम्बे सब-अर्बन इलेक्ट्रिक सप्लाई) को अडानी ट्रांसमिशन को बेचने का फ़ैसला किया.
- निल अंबानी ने हज़ारों करोड़ के कर्ज़ में डूबी अपनी कंपनी 'रिलायंस कम्युनिकेशन' की वायरलेस संपत्तियों को बड़े भाई मुकेश अंबानी को बेच दिया.
- बताया गया कि मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो ने अनिल अंबानी की कंपनी को अनुमानित 3000 करोड़ रुपये में ख़रीदा है.
- अनिल अंबानी ने कहा कि 40,000 करोड़ रुपये के कर्ज़ संकट से जूझ रही रिलायंस कम्युनिकेशन अपने दूरसंचार कारोबार से पूरी तरह बाहर निकल जायेगी और भविष्य में रियल एस्टेट और डिफ़ेंस कारोबार पर ध्यान देगी.निल अंबानी मुंबई में रहते हैं और फ़िटनेस के लिए उनकी दीवानगी जगज़ाहिर है. देश में हुईं कई मैराथन दौड़ों में वो हिस्सा ले चुके हैं.इसी साल एक अख़बार को दिये इंटरव्यू में अनिल अंबानी ने कहा था, "मैं न ही अमीर हूं और न ही मशहूर. मैं सिर्फ़ एक आम इंसान हूं. हमने हमेशा अपने नैतिक मूल्यों का ख़्याल रखा है. यही सबसे ज़रूरी है."