यूजर्सी काउन्टी के एक वरिष्ठ कानून
प्रवर्तन अधिकारी ने अमेरिका के पहले सिख अमेरिकी अटॉर्नी जनरल गुरबीर
ग्रेवाल की पगड़ी को लेकर नस्ली टिप्पणी करने पर मचे हंगामे के बाद इस्तीफा
दे दिया है। बर्जन काउन्टी शेरिफ माइकल सौडिनो के 16 जनवरी के बयान को लेकर कई ऑडियो क्लिप डाले जाने के बाद हंगामा मचा।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक सौडिनो और
चार अंडरशेरिफ ने शुक्रवार को इस्तीफा दिया। यह इस्तीफा रेडियो स्टेशन
डब्ल्यूएनवाईसी द्वारा रिकॉर्डिंग को जारी करने के एक दिन बाद हुआ है।
सौडिनो ने गवर्नर मर्फी की ओर से राजनैतिक दबाव के बाद इस्तीफा दे दिया।
डेमोक्रैट सौडिन्हो का यह तीसरा कार्यकाल था। ऑडियो में सौडिनो को यह कहते सुना जा रहा है कि मर्फी ने 'पगड़ी' की वजह से ग्रेवाल को नियुक्त किया।
सौडिनो ने ग्रेवाल का मर्फी द्वारा चयन
किये जाने पर कहा, ''उन्होंने बर्जन काउन्टी की वजह से ऐसा नहीं किया,
बल्कि पगड़ी की वजह से किया। ग्रेवाल उस वक्त बर्जन काउन्टी के अभियोजक थे।
ग्रेवाल ने इस्तीफे को बर्जन काउन्टी के शेरिफ के कार्यालय और विभिन्न
समुदाय जिनकी यह सेवा करता है उसके बीच संबंधों में सुधार के लिये इसे पहला कदम बताया।
उन्होंने कहा, ''लेकिन हमारा काम वहीं
नहीं रुकता। यह तथ्य कि एक शीर्ष अधिकारी अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय के बारे
में नस्ली टिप्पणी कर सकता है और कमरे में कोई भी उसे चुनौती नहीं देगा या
उन्हें दुरुस्त करेगा, यह गंभीर चिंता पैदा करता है। इस टिप्पणी को लेकर
समूचे राज्य से निंदा हुई लेकिन सौडिनो ने शुरूआत में सिर्फ माफी मांगी थी
और अपना पद छोड़ने का कोई उल्लेख नहीं किया था।
न्यूजर्सी काउन्टी के एक वरिष्ठ कानून
प्रवर्तन अधिकारी ने अमेरिका के पहले सिख अमेरिकी अटॉर्नी जनरल गुरबीर
ग्रेवाल की पगड़ी को लेकर नस्ली टिप्पणी करने पर मचे हंगामे के बाद इस्तीफा
दे दिया है। बर्जन काउन्टी शेरिफ माइकल सौडिनो के 16 जनवरी के बयान को
लेकर कई ऑडियो क्लिप डाले जाने के बाद हंगामा मचा।
न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक सौडिनो और
चार अंडरशेरिफ ने शुक्रवार को इस्तीफा दिया। यह इस्तीफा रेडियो स्टेशन
डब्ल्यूएनवाईसी द्वारा रिकॉर्डिंग को जारी करने के एक दिन बाद हुआ है।
सौडिनो ने गवर्नर मर्फी की ओर से राजनैतिक दबाव के बाद इस्तीफा दे दिया।
डेमोक्रैट सौडिन्हो का यह तीसरा कार्यकाल था। ऑडियो में सौडिनो को यह कहते
सुना जा रहा है कि मर्फी ने 'पगड़ी' की वजह से ग्रेवाल को नियुक्त किया।
सुप्रीम
कोर्ट ने महज कुछ घंटों बाद मणिपुर से रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस
म्यांमार भेजे पर रोक लगाने से गुरुवार को साफ इनकार कर दिया। भारत की तरफ
से आधिकारिक तौर पर म्यांमार प्रत्यर्पण का यह पहला मामला है।
वकील
प्रशांत भूषण ने इस में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की थी और कहा था
कि यह अदालत का कर्तव्य है कि वह राज्य विहीन रोहिंग्या शरणार्थियों की रक्षा करे।
इसके बाद
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने प्रशांत भूषण से कहा कि उन्हें इस बात को याद
दिलाने की कोई आवश्यता नहीं है कि जजों की क्या जिम्मेदारियां हैं। गृह
मंत्रालय ने हलफनामा दायर कर कहा था कि सात रोहिंग्या अपनी सजा पूरी करने के बाद वापस म्यांमार जाने को तैयार हैं। अवैध प्रवासी थे और उन्हें
फॉरनर्स एक्ट में दोषी पाया गया था।
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