Wednesday, November 14, 2018

दक्षिण एशियाई देशों में रहने वाले लोग

गूसमैन को मैनहैटन मेट्रोपॉलिटन करेक्शन सेंटर में अकेले रखा गया है. ये न्यूयॉर्क की सबसे सुरक्षित जेल है. लेकिन उनका मुक़दमा ब्रुकलिन में चल रहा है. जितनी बार भी उन्हें जेल से अदालत ले जाया गया, ब्रुकलिन ब्रिज को बंद करना पड़ा.
पुलिस की कारों, बख़्तरबंद गाड़ियों, एंबुलेंस और आपात वाहनों के काफ़िले में गूसमैन को ज़मीन के नीचे बने गराज के रास्ते से अदालत पहुंचाया जाता है. हालांकि अमरीकी अधिकारियों ने विशेष योजना बनाई है ताकि ब्रुकलिन ब्रिज को बंद करना न पड़े. उन्हें ब्रुकलिन के ही किसी गुप्त स्थान पर रखा जा रहा है.
अदालत की सुरक्षा के भी बेहद कड़े इंतज़ाम किए गए हैं. खोजी कुत्तों को संदिग्ध विस्फोटकों की तलाश में लगाया गया है. वकीलों और चश्मदीदों को भी सुरक्षा दी जा रही है.
अदालत में गवाही देने वाले चश्मदीदों के नाम जारी नहीं किए गए हैं और उन्हें कड़ी सुरक्षा में रखा गया है.
यही नहीं, ज्यूरी के सदस्यों के नाम और पते भी गुप्त रखे गए हैं. वो कहां रहते हैं और क्या करते हैं, ये जानकारी भी मीडिया, गूसमैन के वकीलों को नहीं दी गई है.
हथियारबंद सैनिकों की सुरक्षा में ज्यूरी सदस्यों को अदालत लाया जाएगा
दुनियाभर में डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी के रूप में उभर रही है जो बेहद तेज़ी से बच्चों से लेकर युवाओं को अपना निशाना बना रही है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, दुनिया भर में इस समय 42.2 करोड़ लोग डायबिटीज़ यानी मधुमेह से पीड़ित हैं.
बीते तीस सालों में मधुमेह पीड़ितों की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है.
डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों को हार्ट अटैक (दिल का दौरा) और हार्ट स्ट्रोक (हृदयाघात) हो सकता है.
इसके साथ-साथ डायबिटीज़ से किडनी फेल और पैरों के निष्क्रिय होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
लेकिन इसके बाद भी आम लोगों में इस बीमारी के लक्षणों, बचाव और कारणों को लेकर जागरुकता नहीं है.
जब हमारा शरीर खून में मौजूद शुगर की मात्रा को सोखने में असमर्थ हो जाता है तो ये स्थिति डायबिटीज़ को जन्म देती है.
दरअसल, हम जब भी कुछ खाते हैं तो हमारा शरीर कार्बोहाइड्रेट को तोड़कर ग्लूकोज़ में बदलता है.
इसके बाद पेंक्रियाज़ से इंसुलिन नाम का एक हारमोन निकलता है जो कि हमारे शरीर की कोशिकाओं को ग्लूकोज़ को सोखने का निर्देश देता है.
इससे हमारे शरीर में ऊर्जा पैदा होती है.
लेकिन जब इंसुलिन का फ़्लो रुक जाता है तो हमारे शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ना शुरू हो जाती है.
डायबिटीज़ के कई प्रकार होते हैं लेकिन टाइप 1, टाइप 2 और गेस्टेशनल डायबिटीज़ से जुड़े मामलों की अधिक पाए जाते हैं.
टाइप 1 डायबिटीज़ में आपके पेंक्रियाज में हारमोन इंसुलिन बनना बंद हो जाता है. इससे हमारे खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ने लगती है.
अब तक वैज्ञानिक ये पता लगाने में सफल नहीं हुए हैं कि ऐसा क्यों होता है.
लेकिन इसे आनुवंशिकता और वायरल इन्फेक्शन से जोड़कर देखा जाता है.
इससे पीड़ित लोगों में से लगभग दस फीसदी लोग टाइप 1 डाटबिटीज़ से पीड़ित होते हैं.
वहीं, टाइप 2 डायबिटीज़ में पेंक्रियाज में ज़रूरत के हिसाब से इंसुलिन नहीं बनता है या हारमोन ठीक से काम नहीं करता है.
टाइप 2 डायबिटीज़ इन लोगों को हो सकता है -
वहीं, कुछ गर्भवती महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज़ से पीड़ित हो सकती हैं.
इसमें महिलाओं का शरीर उनके और बच्चे के लिए पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनाना बंद कर देता है.
अलग-अलग मानदंडों के आधार पर किए गए अध्ययनों में सामने आया है कि छह से 16 फीसदी महिलाओं के जेस्टेशनल डायबिटीज़ से पीड़ित होने की संभावना है.

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